प्रदीप रामटेके
मुख्य संपादक
जबकि किसी सांसद या विधायक की मृत्यु के बाद छह महीने के भीतर उपचुनाव कराना कानूनन अनिवार्य है,लेकिन चुनाव आयोग इससे बचकर संवैधानिक ढांचे को तोड़ने जा रहा है।
यदि जिम्मेदारी पूरी नहीं की जा सकती तो हम चुनाव आयोग से अपील करते हैं कि वह इस्तीफा देकर स्वतंत्र हो जाएं या तुरंत उपचुनाव कराएं।’
अगर ये दो काम नहीं किए जाते हैं तो जहां भी चुनाव आयोग जा रहा है,लोगों को प्रदर्शन करना चाहिए,मार्च निकालना चाहिए और अगर वे चुनाव आयोग की बात नहीं मानते हैं,तो उन्हें चुनाव आयोग पर हमला भी करना चाहिए,ऐसा नेता एडवोकेट प्रकाश अंबेडकर ने कहा। अमरावती में शनिवार को पत्रकारों से बात कर रहे थे।
एड.प्रकाश अम्बेडकर ने कहा चुनाव आयोग के पास चुनाव स्थगित करने का कोई अधिकार नहीं है।चुनाव आयोग स्वायत्त है। चुनाव कराने के हाईकोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया गया।
चुनाव आयोग सरकार के इशारे पर चल रहा है,अगर चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहा है तो जनता को इसकी मांग करने का अधिकार है.
क्योंकि जनता इस देश की मालिक है।अगर चुनाव आयोग नहीं सुन रहा तो विरोध भी होना चाहिए,विरोध का मतलब कानून हाथ में लेना नहीं है।कानून लागू कराना चुनाव आयोग का काम है, अगर वे ईमानदारी से काम नहीं करेंगे और जनता इसके खिलाफ विद्रोह करेगी तो इसके लिए चुनाव आयोग जिम्मेदार होगा.
चुनाव आयोग को तत्काल दिवंगत जन प्रतिनिधियों के निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव कराना चाहिए।एड.प्रकाश अंबेडकर ने आलोचना करते हुए कहा कि अगर लोगों का गुस्सा बढ़ेगा तो लोग आवाज उठाएंगे और जिन्हें आप आज बचा रहे हैं वो आपको बचाने नहीं आएंगे.
प्रकाश अंबेडकर ने कहा,जनता की अपेक्षा है कि चुनाव आयोग निष्पक्षता से काम करे,राजनीतिक दल भी इस मुद्दे पर स्टैंड लेने से डर रहे हैं,जिससे चुनाव आयोग मुश्किल में है।
एड.आंबेडकर ने कहा,चुनाव जीते और हारे जाते हैं,लेकिन संविधान द्वारा बनाई गई व्यवस्था को बनाए रखने की जिम्मेदारी राजनीतिक दल और उससे भी अधिक चुनाव आयोग की होती है।