सैय्यद ज़ाकिर
सह व्यवस्थापक/जिल्हाप्रतिनिधी वर्धा
हिंगणघाट :शहर में घर बांधकाम की कार्यप्रणाली शुरू है लेकिन इसमें इसमे मजदूर वर्ग की सुरक्षा के दुरष्टिकोण से मजदूर वर्ग को कोई सुरक्षा नही है।
प्रशासन द्वारा उसको या उसके परिवार को कोई आर्थिक मदत नही मिलती। किसी घर का काम करते समय अगर कोई मजदूर दुर्घटना का शिकार हो जाता है या फिर उसकी जीवन लीला समाप्त हो जाती है तो उसके परिवार को आर्थिक मदत की कमतरता दिखाई देती है..
प्राईवेट कार्य होने से 2 से 3 लाख रुपयों की मदत जोर-जबरदस्ती करने के बाद उसके परिवार को मिलती है।
जब कि ऐसे हादसों के समय तुरंत मदत मिलनी चाहिये। अभी हाल ही में मकान बांधकाम मजदूर को बिजली का करंट लगने से उसकी दर्दनाक मौत हो गयी। यह सुपर्वविजन ,ठेकेदारों और बांदकाम कि अनुमति देने वाले विभाग की लापरवाही का नतीजा है।
अनुमति के पूर्व अधिकारियों ने बांदकाम की जगह जाकर खुद इसकी जाँच करनी चाहिए। दुर्घटनाओं की जगह वाली संकेत का मुआयना कर बांधकाम की अनुमति देनी चाहिए।
मजदूर के जीवन का मूल्य नही है क्या? 2 से 3 लाख में उसके परिवार की जिम्मेदारी पूरी हो जाएगी क्या?एक सहानुभूति मुआवजा देने से उसके परिवार का गुजारा कैसे जिन्दनगी भर चलेगा। इसको नगरपरिषद बांधकाम विभाग ने गभीरता पूर्वक लेकर मजदूर वर्ग को को न्याय मिलना चाहिए।